बुधवार, 23 सितंबर 2020

आखिर किसान और सांसद क्यों कर रहे हैं कृषि विधेयकों का विरोध

हाल ही में विशेष रूप से पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) राज्यों के किसानों द्वारा तीन कृषि विधेयकों (Agricultural Bills) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. गौरतलब है कि किसान जून 2020 में जारी किये गए अध्यादेशों को बदलना चाहते हैं. आसान भाषा में समझें तो किसान इस विधेयक के खिलाफ इसलिए हैं क्योंकि इसके जरिए कृषि वस्तुओं के व्यापार, मूल्य आश्वासन, अनुबंध सहित कृषि सेवाओं और आवश्यक वस्तुओं के लिये स्टॉक सीमा में बदलाव लाने की परिकल्पना करता हैं. इन विधेयकों में कृषि विपणन प्रणाली में बहुत आवश्यक सुधार लाने की मांग की गई है जैसे कि कृषि उपज के निजी स्टॉक पर प्रतिबंध को हटाना या बिचौलियों से मुक्त व्यापारिक क्षेत्र बनाना. हालांकि किसान आशंकित हैं कि इन विधेयकों द्वारा समर्थित मुक्त बाजार की अवधारणा न्यूनतम समर्थन मूल्य (Least Help Value MSP) प्रणाली को कमजोर कर सकती है और किसानों को बाजार की शक्तियों के प्रति संवेदनशील बना सकती है. 


तीन कृषि विधेयक जो विवादित हैं: 

  1. किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य विधेयक, 2020. 
  2. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक, 2020. 
  3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020. 


कृषि विधेयकों के उद्देश्य 

इन विधेयकों का उद्देश्य कृषि उपज बाजार समितियों (Agrarian Produce Market Advisory groups APMC) की सीमाओं से बाहर बिचौलियों और सरकारी करों से मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाकर कृषि व्यापार में सरकार के हस्तक्षेप को दूर करना है. यह किसानों को बिचौलियों के माध्यम से और अनिवार्य शुल्क जैसे लेवी का भुगतान किये बिना इन नए क्षेत्रों में सीधे अपनी उपज बेचने का विकल्प देगा. 

इस विधेयक के जरिए अंतर्राज्यीय व्यापार पर स्टॉक होल्डिंग सीमा के साथ-साथ प्रतिबंधों को हटाने और अनुबंध खेती के लिये एक ढांचा बनाने की मांग करते हैं. इसके साथ ही ये विधेयक बड़े पैमाने पर किसान उत्पादक संगठनों (Rancher Maker Associations FPO) के निर्माण को बढ़ावा देते हैं. इतना ही नहीं अनुबंध खेती के लिये एक किसान अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करेगा, जिससे छोटे किसान भी लाभ उठा सकें. 

ये विधेयक निजी क्षेत्र को भंडारण, ग्रेडिंग और अन्य मार्केटिंग बुनियादी ढांचे में निवेश करने में सहायता कर सकता है. इन विधेयकों के संयुक्त प्रभाव से कृषि उपज के लिये 'वन नेशन, वन मार्केट' बनाने में मदद मिलेगी. 

विपक्ष और किसानों द्वारा उठाए  जा रहे मुद्दे 

संघीय दृष्टिकोण: किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 APMC क्षेत्राधिकार के बाहर नामित व्यापार क्षेत्रों में अप्रभावित वाणिज्य के लिये प्रावधान करता है. इसके अलावा यह विधेयक केंद्र सरकार को इस कानून के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये राज्यों को आदेश जारी करने का अधिकार देता है. हालांकि व्यापार और कृषि के मामलों को राज्य सूची के विषयों का हिस्सा होने के कारण राज्यों की नाराजगी भी इसके खिलाफ साथ दिखती है. जिससे किसानों को परोक्ष रुप से एक तरह से समर्थन ही मिल रहा है. 

परामर्श की कमी: उचित परामर्श के बिना विधेयकों को पारित करने का जल्दबाजी की वजह से किसानों सहित विभिन्न हितधारकों के बीच अविश्वास पैदा करता है. इसके अलावा APMC (Agricultural produce market committeeक्षेत्र के बाहर व्यापार क्षेत्रों को अनुमति देने से किसान आशंकित हो गए हैं कि नई प्रणाली से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली अंततः बाहर निकल जाएगी. यही वजह है किसान इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. 

गैर-APMC मंडियों में विनियमन की अनुपस्थिति: किसानों द्वारा उठाया गया एक और मुद्दा यह है कि प्रस्तावित विधेयक किसानों के हितों की कीमत पर कॉर्पोरेट हितों को वरीयता देते हैं. गैर-APMC मंडियों में किसी भी विनियमन के अभाव में किसानों को कॉरपोरेट्स से निपटना मुश्किल हो सकता है. जिसके खिलाफ छोटे और सीमांत किसान ठीक तरीके से आवाज भी नहीं उठा सकते. इतना ही नहीं कॉरपोरेट्स पूरी तरह से लाभ की मांग के उद्देश्य से काम करते हैं. 

पंजाब में कृषि विधेयकों का विरोध करते किसान और जन प्रतिनिधि


गैर-अनुकूल बाजार की स्थिति: खुदरा मूल्य दर उच्च बनी हुई हैं जबकि थोक मूल्य सूचकांक (Discount Value Record WPI) के आंकड़ों से अधिकांश कृषि उपज के लिये फार्म गेट की कीमतों में गिरावट का संकेत मिलता है. बढ़ती इनपुट लागत के साथ किसानों को मुक्त बाज़ार आधारित ढांचा उपलब्ध नहीं है जो उन्हें पारिश्रमिक मूल्य प्रदान करता है. 

इन आशंकाओं से बिहार जैसे राज्यों के अनुभव को बल मिलता है, जिसने वर्ष 2006 में APMC को समाप्त कर दिया था. मंडियों के उन्मूलन के बाद बिहार में अधिकांश फसलों के लिये किसानों को MSP की तुलना में औसतन कम कीमत प्राप्त हुई. 

क्या है आगे की राह 

प्रतिस्पर्द्धा को मज़बूत करने के लिये कृषि अवसंरचना में सुधार: सरकार को बड़े पैमाने पर APMC बाज़ार प्रणाली के विस्तार के लिये फंड देना चाहिये , व्यापार कार्टेल को हटाने के लिये प्रयास करना चाहिये और किसानों को अच्छी सड़कें, पैमाने की रसद और वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करनी चाहिये. 


आगे की राह 

प्रतिस्पर्द्धा को मजबूत करने के लिये कृषि अवसंरचना में सुधार: सरकार को बड़े पैमाने पर APMC बाज़ार प्रणाली के विस्तार के लिये फंड देना चाहिये. व्यापार कार्टेल को हटाने के लिये प्रयास करना चाहिये और किसानों को अच्छी सड़कें, पैमाने की रसद और वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करनी चाहिये.

राज्य किसान आयोगों को सशक्त बनाना: भारी केंद्रीकरण का विरोध करने के बजाय राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा अनुशंसित राज्य किसान आयोगों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने पर जोर दिया जाना चाहिये ताकि मुद्दों पर सरकार की तीव्र प्रतिक्रिया आए.

सर्वसम्मति बनाना: केंद्र को किसानों सहित विधेयकों का विरोध करने वालों तक पहुँचना चाहिये उन्हें सुधार की आवश्यकता समझानी चाहिये और उन्हें बोर्ड पर लाना चाहिये.

मजबूत संस्थागत व्यवस्था के बिना मुक्त बाजार से लाखों असंगठित छोटे किसानों को लाखों का नुकसान हो  सकता है, जो उल्लेखनीय रूप से उत्पादक हैं और जिन्होंने महामारी के दौरान भी अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है और देश की प्रगति के मार्ग पर हमेशा से अग्रसर बने हुए हैं.


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